माँ तू अब हंसती क्यों नहीं ?
प्यार से झरझर , खिलखिलाती वह छवि ,
मेरी आँखों से मिटती ही नहीं।
प्यार बरसाती सारे दुखों को डुबोती ,
तेरी हँसी मन से हटती ही नहीं।
तेरी हंसी में ही तो डूबा हमेशा सारा डर ,
ज़िन्दगी जीना सीखा होकर निडर ,
पर माँ आज तेरा मायूस सा चेहरा
और वीरान ऑंखें ,
कहाँ डु बो ऊँ मैं अपने गम और अपनी आहें ?
माँ क्या ला नहीं सकती तू फिर से वह हँसी ,
जो दे मुझे सदा हिम्मत , लाये होठों पे हँसी ?
बहती आँखों से देख तब माँ बोली ,
तेरी हंसी में ही तो सदा मेरी जान बसी।
तेरी आँखों में उमड़ता विश्वास ,
बनी मेरी आस ,
तेरी हँसी की चाह ही लाती मेरे होठों पर हँसी ,
पर विश्वास को हटा जहाँ घुमड़ा अविश्वास ,
वहीँ मेरी हँसी ने भी तोड़ी अपनी श्वास।
प्यार का नाम है केवल विश्वास।
विश्वास बिना प्यार कहाँ ?
और प्यार नहीं तो कहाँ से लाऊँ ,
तेरे लिए अपने होठों पर हँसी ?
प्यार से झरझर , खिलखिलाती वह छवि ,
मेरी आँखों से मिटती ही नहीं।
प्यार बरसाती सारे दुखों को डुबोती ,
तेरी हँसी मन से हटती ही नहीं।
तेरी हंसी में ही तो डूबा हमेशा सारा डर ,
ज़िन्दगी जीना सीखा होकर निडर ,
पर माँ आज तेरा मायूस सा चेहरा
और वीरान ऑंखें ,
कहाँ डु बो ऊँ मैं अपने गम और अपनी आहें ?
माँ क्या ला नहीं सकती तू फिर से वह हँसी ,
जो दे मुझे सदा हिम्मत , लाये होठों पे हँसी ?
बहती आँखों से देख तब माँ बोली ,
तेरी हंसी में ही तो सदा मेरी जान बसी।
तेरी आँखों में उमड़ता विश्वास ,
बनी मेरी आस ,
तेरी हँसी की चाह ही लाती मेरे होठों पर हँसी ,
पर विश्वास को हटा जहाँ घुमड़ा अविश्वास ,
वहीँ मेरी हँसी ने भी तोड़ी अपनी श्वास।
प्यार का नाम है केवल विश्वास।
विश्वास बिना प्यार कहाँ ?
और प्यार नहीं तो कहाँ से लाऊँ ,
तेरे लिए अपने होठों पर हँसी ?